लॉक डाउन में फंसे इलाहाबाद विश्वविद्यालय (इविवि) के छात्र-छात्राओं को बिना परीक्षा अगली कक्षा में प्रमोट किए जाने का प्रस्ताव रखा गया है। इलाहाबाद विश्वविद्यालय अध्यापक संघ (ऑटा) ने दिल्ली विश्वविद्यालय में आए ऐसे ही एक प्रस्ताव का हवाला देते हुए कुलपति को पत्र भेजकर यह प्रस्ताव रखा है। ऑटा ने यह यह सलाह भी की है कि इविवि एवं संघटक कॉलेजों में इस बार प्रवेश के लिए परीक्षा न कराई जाए, बल्कि सीधे मेरिट के आधार पर प्रवेश लिए जाएं ताकि नए सत्र की समय से शुरुआत की जा सके।
ऑटा अध्यक्ष प्रो. राम सेवक दुबे की ओर से लिखे गए पत्र में कहा गया है कि स्नातक प्रथम वर्ष के छात्रों को द्वितीय वर्ष और द्वितीय वर्ष के छात्रों को तृतीय वर्ष में प्रमोट कर दिया जाए। साथ ही सुझाव दिया गया है कि प्रथम वर्ष के किसी छात्र को द्वितीय वर्ष में प्रमोट किया जाता है तो उसे द्वितीय वर्ष की आगामी परीक्षा में जो अंक मिलें, उसी आधार पर प्रथम वर्ष के अंक निर्धारित किए जाएं। ठीक यही प्रक्रिया अन्य मामलों में भी अपनाई जाए ताकि स्नातक अंतिम वर्ष उत्तीर्ण करने वाले अभ्यर्थियों की डिवीजन का निर्धारण हो सके।
इसी तरह जिन पाठ्यक्रमों में सेमेस्टर सिस्टम लागू है, वहां भी यही प्रक्रिया अपनाई जाए। उदाहरण के तौर पर अगर प्रथम सेमेस्टर के किसी छात्र को द्वितीय सेमेस्टर में प्रमोट किया जाता है तो उसे द्वितीय सेमेस्टर की आगामी परीक्षा में जो अंक मिलेंगे, उसी आधार पर प्रथम सेमेस्टर के अंक निर्धारित किए जाएं। अन्य सेमेस्टर के छात्र-छात्राओं के लिए भी यही व्यवस्था लागू की जाए। इसके अलावा कुलपति से मांग की गई है कि इस बार प्रवेश परीक्षा न कराई, बल्कि मेरिट के आधार पर सीधे प्रवेश लिए जाएं। ऑटा अध्यक्ष का कहना है कि वैसे भी प्रवेश परीक्षा कराने के बावजूद शून्य अंक तक मेरिट गिरा दी जाती है। ऐसे में सीधे मेरिट के आधार पर प्रवेश लिए जाने में कोई दिक्कत नहीं होनी चाहिए। इससे काफी समय बच जाएगा।
लॉक डाउन के दौरान इविवि में प्रवेश परीक्षा के लिए कुछ दिनों पहले आवेदन की प्रक्रिया शुरू की गई थी लेकिन छात्र नेताओं की ओर से विरोध किए जाने पर तीन दिन बाद ही इसे स्थगित कर दिया गया था। अब लॉक डाउन के बाद ही आवेदन की प्रक्रिया शुरू होगी। वहीं, सभी वार्षिक और सेमेस्टर परीक्षाएं भी स्थगित की जा चुकी हैं। ऑटा का अनुमान है कि मौजूदा परिस्थितियों को देखते हुए अगर सभी वार्षिक परीक्षाएं और प्रवेश परीक्षाएं कराई जाती हैं तो नया सत्र अक्तूबर या नवंबर के महीने में ही शुरू हो सकेगा। तब तक बहुत देर हो जाएगी और आगामी सत्रों पर भी इसका असर पड़ेगा।
अंतिम वर्ष के लिए हो सकती है परीक्षा
जो छात्र स्नातक अंतिम वर्ष में हैं, लॉक डाउन के बाद उनकी लिए परीक्षा कराई जा सकती है ताकि उनकी डिवीजन का निर्धारण हो सके। स्नातक प्रथम एवं द्वितीय वर्ष के मुकाबले तृतीय वर्ष में छात्र-छात्राओं की संख्या कम होती है। अगर प्रथम एवं द्वितीय वर्ष के छात्रों की परीक्षा नहीं होती है तो तृतीय वर्ष की परीक्षा कराना इविवि प्रशासन के लिए बड़ी चुनौती नहीं होगी। ऐसे में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए परीक्षा का आयोजन किया जा सकता है।
परीक्षा नियंत्रक के पास भेजा जाएगा प्रस्ताव
इविवि के पीआरओ डॉ. शैलेंद्र मिश्र का कहना है कि विश्वविद्यालय प्रशासन इस प्रस्ताव पर सीधे तौर पर कोई निर्णय नहीं ले सकता है। यह प्रस्ताव परीक्षा नियंत्रक के पास भेजा जाएगा। अगर वह प्रस्ताव से सहमत होते हैं तो इसे पहले एकेडमिक कौंसिल और फिर एग्जीक्यूटिव काउंसिल में रखा जाएगा। दोनों जगह से मंजूरी मिलने के बाद ही इस प्रस्ताव को लागू किया जा सकता है।
ऑटा अध्यक्ष प्रो. राम सेवक दुबे की ओर से लिखे गए पत्र में कहा गया है कि स्नातक प्रथम वर्ष के छात्रों को द्वितीय वर्ष और द्वितीय वर्ष के छात्रों को तृतीय वर्ष में प्रमोट कर दिया जाए। साथ ही सुझाव दिया गया है कि प्रथम वर्ष के किसी छात्र को द्वितीय वर्ष में प्रमोट किया जाता है तो उसे द्वितीय वर्ष की आगामी परीक्षा में जो अंक मिलें, उसी आधार पर प्रथम वर्ष के अंक निर्धारित किए जाएं। ठीक यही प्रक्रिया अन्य मामलों में भी अपनाई जाए ताकि स्नातक अंतिम वर्ष उत्तीर्ण करने वाले अभ्यर्थियों की डिवीजन का निर्धारण हो सके।
इसी तरह जिन पाठ्यक्रमों में सेमेस्टर सिस्टम लागू है, वहां भी यही प्रक्रिया अपनाई जाए। उदाहरण के तौर पर अगर प्रथम सेमेस्टर के किसी छात्र को द्वितीय सेमेस्टर में प्रमोट किया जाता है तो उसे द्वितीय सेमेस्टर की आगामी परीक्षा में जो अंक मिलेंगे, उसी आधार पर प्रथम सेमेस्टर के अंक निर्धारित किए जाएं। अन्य सेमेस्टर के छात्र-छात्राओं के लिए भी यही व्यवस्था लागू की जाए। इसके अलावा कुलपति से मांग की गई है कि इस बार प्रवेश परीक्षा न कराई, बल्कि मेरिट के आधार पर सीधे प्रवेश लिए जाएं। ऑटा अध्यक्ष का कहना है कि वैसे भी प्रवेश परीक्षा कराने के बावजूद शून्य अंक तक मेरिट गिरा दी जाती है। ऐसे में सीधे मेरिट के आधार पर प्रवेश लिए जाने में कोई दिक्कत नहीं होनी चाहिए। इससे काफी समय बच जाएगा।
लॉक डाउन के दौरान इविवि में प्रवेश परीक्षा के लिए कुछ दिनों पहले आवेदन की प्रक्रिया शुरू की गई थी लेकिन छात्र नेताओं की ओर से विरोध किए जाने पर तीन दिन बाद ही इसे स्थगित कर दिया गया था। अब लॉक डाउन के बाद ही आवेदन की प्रक्रिया शुरू होगी। वहीं, सभी वार्षिक और सेमेस्टर परीक्षाएं भी स्थगित की जा चुकी हैं। ऑटा का अनुमान है कि मौजूदा परिस्थितियों को देखते हुए अगर सभी वार्षिक परीक्षाएं और प्रवेश परीक्षाएं कराई जाती हैं तो नया सत्र अक्तूबर या नवंबर के महीने में ही शुरू हो सकेगा। तब तक बहुत देर हो जाएगी और आगामी सत्रों पर भी इसका असर पड़ेगा।
अंतिम वर्ष के लिए हो सकती है परीक्षा
जो छात्र स्नातक अंतिम वर्ष में हैं, लॉक डाउन के बाद उनकी लिए परीक्षा कराई जा सकती है ताकि उनकी डिवीजन का निर्धारण हो सके। स्नातक प्रथम एवं द्वितीय वर्ष के मुकाबले तृतीय वर्ष में छात्र-छात्राओं की संख्या कम होती है। अगर प्रथम एवं द्वितीय वर्ष के छात्रों की परीक्षा नहीं होती है तो तृतीय वर्ष की परीक्षा कराना इविवि प्रशासन के लिए बड़ी चुनौती नहीं होगी। ऐसे में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए परीक्षा का आयोजन किया जा सकता है।
परीक्षा नियंत्रक के पास भेजा जाएगा प्रस्ताव
इविवि के पीआरओ डॉ. शैलेंद्र मिश्र का कहना है कि विश्वविद्यालय प्रशासन इस प्रस्ताव पर सीधे तौर पर कोई निर्णय नहीं ले सकता है। यह प्रस्ताव परीक्षा नियंत्रक के पास भेजा जाएगा। अगर वह प्रस्ताव से सहमत होते हैं तो इसे पहले एकेडमिक कौंसिल और फिर एग्जीक्यूटिव काउंसिल में रखा जाएगा। दोनों जगह से मंजूरी मिलने के बाद ही इस प्रस्ताव को लागू किया जा सकता है।


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