कोरोना वायरस की वजह से देश में लागू लॉकडाउन 3 मई तक बढ़ गया है। लॉकडाउन में लगभग सभी सेक्टर्स के अधिकतर कर्मचारियों को वेतन कटौती का सामना करना पड़ रहा है। यह सभी के लिए एक कठिन समय है और परिस्थितियां हमारे नियंत्रण से बाहर। सैलरी में कटौती से निश्चित तौर पर हमारा जीवन बहुत प्रभावित होता है, लेकिन यदि हम कुछ खास बातों का ध्यान रखें और अच्छी प्लानिंग करें तो इस दर्द को कम कर सकते हैं।
stableinvester.com के फाउंडर देव आशीष कहते हैं, 'इसमें कोई शक नहीं है कि यह मुश्किल समय है, लेकिन आपको इस बात का संतोष करना चाहिए कि कम से कम आपके पास नौकरी तो है, जबकि लाखों लोगों का रोजगार छिन गया है।' वह सलाह देते हैं कि सैलरी कट पर अधिक तनाव लिए बिना हमें कुछ ऐसे फैसले लेने चाहिए जिससे हम आसानी से इस दौर से बाहर निकल सकें। आइए इसके लिए कुछ टिप्स जानते हैं।
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खर्च पर रखें नियंत्रण
देव कहते हैं आपने लॉकडाउन में यह जरूर नोटिस किया होगा कि जीवन की भूलभूत आवश्यकताओं पर अधिक खर्च नहीं है। हम बाहर खाना खाने, यात्रा, विलासिता की दूसरी चीजें और शौक पर अधिक खर्च करते हैं। लॉकडाउन से हमारे ऐसे खर्च रुक गए हैं। अभी यह पहचान करना आसान है कि हमारी मूलभूत आवश्यकताएं क्या हैं। इसलिए सैलरी कटौती के बाद आपको अपनी इन आवश्यकताओं पर ही फोकस करना है। आपको अपने खर्चों की सूची तैयार करनी चाहिए और इनमें से जिन्हें टाला या रोका जा सकता है टाल दें। फाइनैंशल प्लानिंग फर्म Investorgraphy की सीईओ श्वेता जैन कहती हैं कि यदि आप क्रेडिट कार्ड से अधिक खर्च करते हैं तो बेहतर है कि अभी इसका इस्तेमाल ना करें। यदि आपने कुछ समय पहले ही करियर की शुरुआत की है और सैलरी का बड़ा हिस्सा घर के किराये और जरूरत पर ही खर्च करते हैं तो बेहतर होगा कि लॉकडाउन के बाद सस्ते ठिकाने की तलाश करें।
देव कहते हैं आपने लॉकडाउन में यह जरूर नोटिस किया होगा कि जीवन की भूलभूत आवश्यकताओं पर अधिक खर्च नहीं है। हम बाहर खाना खाने, यात्रा, विलासिता की दूसरी चीजें और शौक पर अधिक खर्च करते हैं। लॉकडाउन से हमारे ऐसे खर्च रुक गए हैं। अभी यह पहचान करना आसान है कि हमारी मूलभूत आवश्यकताएं क्या हैं। इसलिए सैलरी कटौती के बाद आपको अपनी इन आवश्यकताओं पर ही फोकस करना है। आपको अपने खर्चों की सूची तैयार करनी चाहिए और इनमें से जिन्हें टाला या रोका जा सकता है टाल दें। फाइनैंशल प्लानिंग फर्म Investorgraphy की सीईओ श्वेता जैन कहती हैं कि यदि आप क्रेडिट कार्ड से अधिक खर्च करते हैं तो बेहतर है कि अभी इसका इस्तेमाल ना करें। यदि आपने कुछ समय पहले ही करियर की शुरुआत की है और सैलरी का बड़ा हिस्सा घर के किराये और जरूरत पर ही खर्च करते हैं तो बेहतर होगा कि लॉकडाउन के बाद सस्ते ठिकाने की तलाश करें।
अपने लक्ष्य और निवेश पर दोबारा करें विचार
क्या आप कार खरीदने का प्लान कर रहे थे या घर को रेनोवेट करने की सोच रहे थे? अभी सैलरी कटौती की वजह से आपको अपने लक्ष्यों पर दोबारा विचार करना पड़ेगा। आपको सोचना होगा कि आप जिस मद में पैसे खर्च करना चाहते थे वह बहुत जरूरी है या टाला जा सकता है। जैन कहती हैं, 'यदि आप अपने लक्ष्य को टाल सकते हैं तो ऐसा करके पैसे बचा लें। अभी आप जितनी बचत कर लेंगे उतना ही सुरक्षित महसूस करेंगे।'
क्या आप कार खरीदने का प्लान कर रहे थे या घर को रेनोवेट करने की सोच रहे थे? अभी सैलरी कटौती की वजह से आपको अपने लक्ष्यों पर दोबारा विचार करना पड़ेगा। आपको सोचना होगा कि आप जिस मद में पैसे खर्च करना चाहते थे वह बहुत जरूरी है या टाला जा सकता है। जैन कहती हैं, 'यदि आप अपने लक्ष्य को टाल सकते हैं तो ऐसा करके पैसे बचा लें। अभी आप जितनी बचत कर लेंगे उतना ही सुरक्षित महसूस करेंगे।'
देव कहते हैं मूलभूत खर्चों के बाद यदि आपके पास कुछ पैसे बचते हैं तो इसे सिर्फ निवेश करने की सोचें। वह कहते हैं, 'यदि अभी आप पैसों की कमी की वजह से अभी निवेश करने में असमर्थ हैं तो कोई बात नहीं है। आप कुछ महीनों के लिए निवेश रोक सकते हैं। अभी लिक्विडिटी ही राजा है। कुछ महीनों के बाद जब चीजें सामान्य हो जाएंगी तो निवेश दोबारा शुरू किया जा सकता है।'
लोन लेने से बचें
यदि आपकी सैलरी में कटौती हो रही है और इसके असर को कम करने के लिए आप लोन लेना चाहते हैं तो ऐसा करने से खुद को रोकिए। क्योंकि मौजूदा समय अनिश्चितता से भरा हुआ है, ऐसे में खुद पर वित्तीय बोझ बढ़ना समझदारी नहीं है। सोचिए यदि यह दौर अगले कुछ महीनों तक जारी रहा तो आप अगले महीने से खर्च के साथ ईएमआई कैसे चुका पाएंगे? जैन कहती हैं, 'अनावश्यक खर्चों को जारी रखने के लिए लोन लेने का विकल्प ना चुनें, क्योंकि अभी हम भविष्य को लेकर निश्चिंत नहीं हैं। ऐसे में देनदारी कम से कम रखें।' मौजूदा देनदारी में यदि आप दिक्कत महसूस कर रहे हैं तो 3 महीने का लोन मोराटोरियम चुन सकते हैं।
यदि आपकी सैलरी में कटौती हो रही है और इसके असर को कम करने के लिए आप लोन लेना चाहते हैं तो ऐसा करने से खुद को रोकिए। क्योंकि मौजूदा समय अनिश्चितता से भरा हुआ है, ऐसे में खुद पर वित्तीय बोझ बढ़ना समझदारी नहीं है। सोचिए यदि यह दौर अगले कुछ महीनों तक जारी रहा तो आप अगले महीने से खर्च के साथ ईएमआई कैसे चुका पाएंगे? जैन कहती हैं, 'अनावश्यक खर्चों को जारी रखने के लिए लोन लेने का विकल्प ना चुनें, क्योंकि अभी हम भविष्य को लेकर निश्चिंत नहीं हैं। ऐसे में देनदारी कम से कम रखें।' मौजूदा देनदारी में यदि आप दिक्कत महसूस कर रहे हैं तो 3 महीने का लोन मोराटोरियम चुन सकते हैं।
इनकम के लिए दूसरे रास्ते भी तलाशें
यदि आपको सैलरी में कटौती का सामना करना पड़ रहा है तो आमदनी के कुछ अन्य रास्तों की तलाश सबसे बेहतर विकल्प है। आप अपनी योग्यता या शौक को आमदनी का जरिया बना सकते हैं। ऑनलाइन ट्यूशन देना, हॉबी क्लास या कोई विदेशी भाषा सिखाना कुछ उदाहरण हैं। जैन कहती हैं, 'इस तरह के तनाव भरे माहौल में कुछ ऐसा करना जिससे आपको आमदनी हो, आपको सकारात्मक रहने में भी मदद करता है और यह एक बोनस की तरह है।'
यदि आपको सैलरी में कटौती का सामना करना पड़ रहा है तो आमदनी के कुछ अन्य रास्तों की तलाश सबसे बेहतर विकल्प है। आप अपनी योग्यता या शौक को आमदनी का जरिया बना सकते हैं। ऑनलाइन ट्यूशन देना, हॉबी क्लास या कोई विदेशी भाषा सिखाना कुछ उदाहरण हैं। जैन कहती हैं, 'इस तरह के तनाव भरे माहौल में कुछ ऐसा करना जिससे आपको आमदनी हो, आपको सकारात्मक रहने में भी मदद करता है और यह एक बोनस की तरह है।'
आपातकालीन परिस्थितियों के लिए रहें तैयार
अभी तो सैलरी में कटौती का ही सामना करना पड़ रहा है, लेकिन यदि अर्थव्यवस्था में सुस्ती जारी रही तो बड़े स्तर पर छंटनी भी हो सकती है। मौजूदा समय हमें यह भी याद दिला रहा है कि क्यों हमें हमेशा किसी स्वास्थ्य संबंधी आपातकालीन स्थिति के लिए भी तैयार रहना चाहिए। जैन कहती हैं, 'यदि आप बीमार पड़ जाएं तो क्या आप वित्तीय रूप से तैयार हैं? क्या होगा यदि आपकी नौकरी छिन जाए? क्या आपके पास इंश्योरेंस है या आप नियोक्ता की ओर से मिलने वाले इंश्योरेंस पर निर्भर हैं। इंश्योरेंस संबंधी अपनी जरूरत पर गौर करें।' इसके अलावा यदि आपने आपातकालीन फंड नहीं बनाया है तो तुरंत इसकी शुरुआत कर दें। वित्तीय सलाहकार बताते हैं कि हमें छह महीने तक खर्च के बराबर इमर्जेंसी फंड तैयार करना चाहिए।
अभी तो सैलरी में कटौती का ही सामना करना पड़ रहा है, लेकिन यदि अर्थव्यवस्था में सुस्ती जारी रही तो बड़े स्तर पर छंटनी भी हो सकती है। मौजूदा समय हमें यह भी याद दिला रहा है कि क्यों हमें हमेशा किसी स्वास्थ्य संबंधी आपातकालीन स्थिति के लिए भी तैयार रहना चाहिए। जैन कहती हैं, 'यदि आप बीमार पड़ जाएं तो क्या आप वित्तीय रूप से तैयार हैं? क्या होगा यदि आपकी नौकरी छिन जाए? क्या आपके पास इंश्योरेंस है या आप नियोक्ता की ओर से मिलने वाले इंश्योरेंस पर निर्भर हैं। इंश्योरेंस संबंधी अपनी जरूरत पर गौर करें।' इसके अलावा यदि आपने आपातकालीन फंड नहीं बनाया है तो तुरंत इसकी शुरुआत कर दें। वित्तीय सलाहकार बताते हैं कि हमें छह महीने तक खर्च के बराबर इमर्जेंसी फंड तैयार करना चाहिए।


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